आयकर विभाग ने राजस्थान में रचा इतिहास, 3 साल में मारे ताबड़तोड़ 4139 छापे, 1095 दिन मचाए रखी खलबली

जयपुर. आयकर विभाग ने राजस्थान में इतिहास रच दिया है. राजस्थान आयकर इन्वेस्टिगेशन ने राजस्थान में यह इतिहास बीते तीन साल में ताबड़तोड़ छापामारी कर रचा है. आईटी विभाग ने इन तीन बरसों में कुल 4139 छापे मारे और राजस्थान से अकूत काला धन बाहर निकाला. IT इन्वेस्टिगेशन के छापों के मामले में दिल्ली देशभर में टॉप पर रहा. दिल्ली 4430 केस के साथ देश में नंबर वन पर रहा. इन तीन बरसों में आयकर विभाग की इन कार्रवाइयों से हड़कंप मचा रहा.

सीबीडीटी की ओर से राज्यों के आयकर छापों के मामले को लेकर जारी किए गए आंकड़ों में इस बात का खुलासा हुआ है. सीबीडीटी की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 3 साल पहले राजस्थान इसमें 27वें स्थान पर था. लेकिन बीते तीन बरसों में राजस्थान में आयकर विभाग ने यहां रिकॉर्ड छापामारी की कार्रवाइयां की. इसकी बदौलत यह पूरे प्रदेश में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. इस मामले में 3600 केस के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर हैं जबकि 3400 केस बनाकर मुंबई चौथे नंबर पर है.

राजस्थान आयकर इन्वेस्टिगेशन टीम की इस कार्रवाई की विभाग में जमकर सराहना हो रही है. आयकर छापों में राजस्थान IT इन्वेस्टिगेशन का यह नया रिकॉर्ड है. इस छापों की बदौलत आईटी टीम राजस्थान से बड़ी मात्रा में काले धन को उजागर किया. राजस्थान में दिन प्रतिदिन चली इस कार्रवाई से कारोबारियों और राजनेताओं में हड़कंप मच रहा था.

हालांकि आईटी इन्वेस्टिगेशन टीम के छापों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चलता रहा. पूर्ववर्ती गहलोत सरकार इसे बदले की और डराने की कार्रवाई बताती रही. लेकिन IT इन्वेस्टिगेशन की टीम ने अपना काम नहीं छोड़ा. समय-समय पर इन छापों के दौरान सामने आई अकूत नामी और बेनामी संपत्तियों, नगदी और गोल्ड ने आमजन को कई बार हैरान भी कर दिया था. इस उपलब्धि से आयकर विभाग के अधिकारी खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं.

सीबीडीटी के अनुसार पिछले तीन साल में सबसे कम कार्रवाई करने वाली टीम पुणे की है. पुणे आयकर इन्वेस्टिगेशन ने इस अवधि में महज 76 केस बनाए. वहीं उत्तर प्रदेश 227 केस के साथ नीचे से दूसरे पायदान पर है. कई राज्यों ने तीन साल में 500 का आंकड़ा भी नहीं छुआ. छापों की संख्या कम होने से सीबीटीडी ने इन राज्यों की टीमों को चेतावनी जारी की है. सीबीडीटी के मुताबिक नॉर्थ ईस्ट में 418 केस, बिहार में 478 और केरल 484 कार्रवाइयां की गई.

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